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Thursday, October 27, 2016


दीप , ,,,,


गीत रोशनी का लेकर ;
माटी का दीपक आया !
भेद मन का मिटाने को , ,,
तम का संहारक आया !!

तू जलता अंधियारों में ;
तूफां तेरी बाहों में !
आँचल का नहीं सहारा , ,,
शक्तिमान सा राहों में !!

मार तिमिर उजला मन दे ; 
घोर अमावस को छल दे !
सौहार्द्र नेह की छाँव , ,,
सबको सुन्दर सा कल दे!!

त्याग तुम्हारा जग गाता ;
रोशनी संग जगराता !
कादंबरी उर बसाए , ,,
धरा से नभ जोड़ जाता !!

वर्तिका घृत तेल में खो ;
अग्नि पुंज स्पर्श बनी लौ !
दीपित मन में सदआशा, ,,
अन्धकार अब भस्मित हो!!

सोने का या माटी का;
दीपक साथी बाती का !
लो साँसों में ढला राग , ,,
संजीवन भांति भांति का !!..  तनुजा ''तनु ''

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