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Thursday, October 6, 2016


शब्दों की एलओसी मत पार करो रे 

शब्दों की एलओसी मत पार करो रे !
तलवार दुधारी है,   मत मार करो रे !! 

चुभती, तोड़ देती है,  मन की सबलता !
चाशनी सी ज़ुबान ,  मत खार करो रे !!

सुर हो !! असुरों सी क्यों जुबान चल रही !
रहो चुप सुनों समझो, मत प्रहार करो रे !!

देख बलि का लहू उबकाई सी आती !
तुम धीरज व्रत धारो, मत धार करो रे !!

 रहने दो गड़े मुर्दों को उनको न झिंझोड़ो !
भली जान का जीना, मत दुश्वार करो रे !!

जात-पात सच-झूठ, पापी औ पुण्यात्मा !
अरे!!!तुम न्यायाधीश नहीं, मत उद्धार करो रे !!

अब जलाओ ''तनु'' तुम अज्ञानता का रावण !
 बारूद की भट्टी में , मत संसार करो रे !!... ''तनु ''







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