शुकराना
हो गयी बारिशें मैं जहाँ हूँ वहीँ ;
बादलों से घिरी मैं जहाँ हूँ वहीँ !
ठंढ और गर्मी तूने ही दी मुझे;
हैं शरद औ बसंत मैं जहाँ हूँ वहीँ !
चाहती हूँ जी भर गुनगुनाऊँ खूब मैं ;
गीत ग़ज़ल तरन्नुमें हैं मैं जहाँ हूँ वहीँ!
तितलियों की बस्तियों में अलि गूँजते;
हैं कुमुदिनी गुलाब भी मैं जहाँ हूँ वहीँ !
शर्त है मुस्कुराऊँ उस खुदा के लिए;
और शुक्रिया कहती रहूँ मैं जहाँ हूँ वहीँ !... तनुजा ''तनु''
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