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Tuesday, October 25, 2016



शुकराना 


हो गयी बारिशें मैं जहाँ हूँ वहीँ ;
बादलों से घिरी मैं जहाँ हूँ वहीँ ! 

ठंढ और गर्मी तूने ही दी मुझे; 
हैं शरद औ बसंत मैं जहाँ हूँ वहीँ !

चाहती हूँ जी भर गुनगुनाऊँ खूब मैं ;
गीत ग़ज़ल तरन्नुमें हैं मैं जहाँ हूँ वहीँ!  

तितलियों की बस्तियों में अलि गूँजते;
हैं कुमुदिनी गुलाब भी मैं जहाँ हूँ वहीँ !

शर्त है मुस्कुराऊँ उस खुदा के लिए;
और शुक्रिया कहती रहूँ मैं जहाँ हूँ वहीँ !... तनुजा ''तनु''



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