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Wednesday, October 19, 2016



जाने हैं हम
कि
जाना है
फिर भी हैं गले
लगाये हुए
वक्त-ए-रुखसत
जानते नहीं फिर
क्यों है
घबराये हुए , ...


जिंदगी
कितनी
सहरा में बीतेगी
या कि गुलशन 
सुब्हा
सबा में  ग़ुम
शाम को
जिस्म के लम्बे हैं
साये हुए, ... 


सागर
की
लहरों की तरह
उफनते दर्द
सैलाब से
राह बेगानी
अनदेखे चले
साहिल तक हैं
आये हुए , ...


जिंदगी
वही
खुशबुएँ वही
सुबह ओ शाम
भी है वही
वो रग - ए - जां में
उतरा
यही बात
दिल को है
भाये हुए , ... 


लब -ओ -रुखसार, 
पैरहन ,
वो गुलाबी 
आँख के डोरे
थोड़ी ही 
देर के होंगे 
ये 
जेहन को हैं 
समझाये हुए, ... तनुजा ''तनु '' 

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