चुप रह कर न सताइये, तोड़ दीजिये मौन !
मन की गहरी पीर को, आज सहेगा कौन !!
आज कहूँ ना कल कहूँ , कहकर बढ़ती पीर !
मन बेकल को कल नहीं, बिन कहे भी अधीर !!
मुख के मीठे बैन हैं, अभिनव मुक्ता हार !
धारण कर के सज गए, पाया सबका प्यार !!
अपना हित हैं सोचते, बोलें मीठे बैन !
अपना तो करते बुरा, खोते सबका चैन !!
रसना मीठी मन मिले, मिले सकल की प्रीति !
हे भगवन फैलाइये, ऐसी सुंदर रीति !!
मन के आँगन उग गयी , ऐसी विषमय बेल !
जिव्हा कड़वी हो गयी , कहन हुए बेमेल !!... ''तनु''
मन की गहरी पीर को, आज सहेगा कौन !!
आज कहूँ ना कल कहूँ , कहकर बढ़ती पीर !
मन बेकल को कल नहीं, बिन कहे भी अधीर !!
मुख के मीठे बैन हैं, अभिनव मुक्ता हार !
धारण कर के सज गए, पाया सबका प्यार !!
अपना हित हैं सोचते, बोलें मीठे बैन !
अपना तो करते बुरा, खोते सबका चैन !!
रसना मीठी मन मिले, मिले सकल की प्रीति !
हे भगवन फैलाइये, ऐसी सुंदर रीति !!
मन के आँगन उग गयी , ऐसी विषमय बेल !
जिव्हा कड़वी हो गयी , कहन हुए बेमेल !!... ''तनु''
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