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Wednesday, June 20, 2018

चुप रह कर न सताइये, तोड़ दीजिये मौन !

चुप रह कर न सताइये,  तोड़ दीजिये मौन !
मन की गहरी पीर को,  आज सहेगा कौन !!

आज कहूँ ना कल कहूँ , कहकर बढ़ती पीर !
मन बेकल को कल नहीं,  बिन कहे भी अधीर !!

मुख के मीठे बैन हैं,  अभिनव मुक्ता हार !
धारण कर के सज गए, पाया सबका प्यार !!

अपना हित हैं सोचते, बोलें मीठे बैन !
अपना तो करते बुरा, खोते सबका चैन !!

रसना मीठी मन मिले,  मिले सकल की प्रीति !
हे भगवन फैलाइये,              ऐसी सुंदर रीति !!

मन के आँगन उग गयी , ऐसी विषमय बेल !
जिव्हा कड़वी हो गयी ,    कहन हुए बेमेल !!... ''तनु''



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