कह ना पाया आप सा , जो भी चाहा आप !
कबीर तुमसा को नहीं , झूठ मूठ ना जाप !!
झूठ मूठ ना जाप , चोट आडम्बर पर की,
सुन कर के पदचाप, टूटी खोट अंदर की !
लिखे खूब जज़्बात, न कदाचार का सहना !
प्रासंगिक सब बात, पाया आप सा कहना !!... 'तनु'
कबीर तुमसा को नहीं , झूठ मूठ ना जाप !!
झूठ मूठ ना जाप , चोट आडम्बर पर की,
सुन कर के पदचाप, टूटी खोट अंदर की !
लिखे खूब जज़्बात, न कदाचार का सहना !
प्रासंगिक सब बात, पाया आप सा कहना !!... 'तनु'
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