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Saturday, June 23, 2018

बात जी की सुना रहा हूँ मैं !

बात जी की सुना रहा हूँ मैं !
यूँ  जी को बहला रहा हूँ मैं !!

साये दरख़्तों के बूढ़े हुए हैं !
कबसे उनको जगा रहा हूँ मैं !!

उनको मुझसे शिकायतें होंगी !
रोज़ चाँदनी चुरा रहा हूँ मैं!!

धूप से है गिला दर्द सुन ले !

क्यों जमीं को जला रहा हूँ मैं !!

गुल खिलेंगे कहीं कहीं फिर भी !

बूँद बूँद पानी बचा रहा हूँ मैं !!

था कहीं गुनाह ना सजा कोई !

बेवज़ह सज़ा सुना रहा हूँ मैं !!

आबोहवा ज़ख़्म देने लगी अब तो 

''तनु'' बेशक मरहम लगा रहा हूँ मैं !!... ''तनु''

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