पीकर के बीमार हैं, टूट गयी हर आस !
भरी जवानी कोढ़ है, खोया हर विश्वास !!
बलिहारी व्यवहार की, कुछ भी कहते आप !
फिर लकीर को पीटते , मानो समझे साँप !!
बलिहारी व्यवहार की, कुछ भी कहते आप !
पीता हूँ तो क्या गया, बोलेगा ना बाप !!
धन दे निर्धन हो गये, मधुशाला के मीत !
लो नाली में गिर पड़े, चाहे मौसम शीत !!
मुँह का कौर छीन गयी, छिनते है जज़्बात !
काम मिले ना आसरा, बात बात पर लात !!
रोती उनकी बीवियाँ , बच्चे ठोकर खाय !
वालिद के होते हुए , लावारिस कहलाय !!
जिव्हा पर अंकुश नहीं , भूलते सदाचार !
करते दुर्व्यवहार हैं, बार बार हर बार !!
ये इक ही आदत बुरी, इसके संग हज़ार !
ये इक ही ना हो अगर, सुधरे बात हज़ार !!
ग़म को पीने के लिए , दूजा ग़म ना पीव !
जो जीवन तुझसे जुड़े, टाँके उनके सीव !!...''तनु''
भरी जवानी कोढ़ है, खोया हर विश्वास !!
बलिहारी व्यवहार की, कुछ भी कहते आप !
फिर लकीर को पीटते , मानो समझे साँप !!
बलिहारी व्यवहार की, कुछ भी कहते आप !
पीता हूँ तो क्या गया, बोलेगा ना बाप !!
धन दे निर्धन हो गये, मधुशाला के मीत !
मुँह का कौर छीन गयी, छिनते है जज़्बात !
काम मिले ना आसरा, बात बात पर लात !!
रोती उनकी बीवियाँ , बच्चे ठोकर खाय !
वालिद के होते हुए , लावारिस कहलाय !!
जिव्हा पर अंकुश नहीं , भूलते सदाचार !
करते दुर्व्यवहार हैं, बार बार हर बार !!
ये इक ही आदत बुरी, इसके संग हज़ार !
ये इक ही ना हो अगर, सुधरे बात हज़ार !!
ग़म को पीने के लिए , दूजा ग़म ना पीव !
जो जीवन तुझसे जुड़े, टाँके उनके सीव !!...''तनु''
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