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Friday, June 29, 2018

पीकर के बीमार हैं,

पीकर के बीमार हैं,  टूट गयी हर आस !
भरी जवानी कोढ़ है,  खोया हर विश्वास !!

बलिहारी व्यवहार की, कुछ भी कहते आप !
फिर लकीर को पीटते , मानो समझे साँप !! 

बलिहारी व्यवहार की, कुछ भी कहते आप !
पीता हूँ तो क्या गया,         बोलेगा ना बाप !!

धन दे निर्धन हो गये,   मधुशाला के मीत !
लो नाली में गिर पड़े,   चाहे मौसम शीत  !!

मुँह का कौर छीन गयी, छिनते है जज़्बात !

काम मिले ना आसरा,  बात बात पर लात !!

रोती उनकी बीवियाँ ,  बच्चे ठोकर खाय ! 

वालिद के होते हुए ,   लावारिस कहलाय !!

जिव्हा पर अंकुश नहीं , भूलते सदाचार !

करते दुर्व्यवहार हैं,     बार बार हर बार !!

ये इक ही आदत बुरी,  इसके संग हज़ार !

ये इक ही ना हो अगर,  सुधरे बात हज़ार !!

ग़म को पीने के लिए , दूजा ग़म ना पीव !

जो जीवन  तुझसे जुड़े,  टाँके उनके सीव  !!...''तनु''

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