सूखी नदिया नेह की, कंटक लागे आड़ !
शालिग्राम कैसे बने, बहते नहीं पहाड़ !!
दिल पर बोझ परबत सा ,कैसे धर लूँ धीर
लावे सा जो बह चला , इन नयनों का नीर
पीर मेरी परबत सी, लावा से जज़्बात !
कहने वाला मौन है, कोई समझे बात !!
पीर मेरी परबत सी, लावा से जज़्बात !
कहने वाला कौन है, सुने न कोई बात !!
पीर मेरी परबत सी, राई है आधार !
डगमगाते से रिश्ते, खोय गया घर बार !!... ''तनु''
शालिग्राम कैसे बने, बहते नहीं पहाड़ !!
दिल पर बोझ परबत सा ,कैसे धर लूँ धीर
लावे सा जो बह चला , इन नयनों का नीर
पीर मेरी परबत सी, लावा से जज़्बात !
कहने वाला मौन है, कोई समझे बात !!
पीर मेरी परबत सी, लावा से जज़्बात !
कहने वाला कौन है, सुने न कोई बात !!
पीर मेरी परबत सी, राई है आधार !
डगमगाते से रिश्ते, खोय गया घर बार !!... ''तनु''
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