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Friday, June 29, 2018

सूखी नदिया नेह की, कंटक लागे आड़ !

सूखी नदिया नेह की, कंटक लागे आड़ !
शालिग्राम कैसे बने,    बहते नहीं पहाड़ !!

दिल पर बोझ परबत सा ,कैसे धर लूँ धीर 
लावे सा जो बह चला , इन नयनों का नीर 

पीर मेरी परबत सी, लावा से जज़्बात ! 
कहने वाला मौन है, कोई समझे बात !!

पीर मेरी परबत सी, लावा से जज़्बात ! 
कहने वाला कौन है, सुने न कोई बात !!

पीर मेरी परबत सी,   राई है आधार !
डगमगाते से रिश्ते,  खोय गया घर बार !!... ''तनु''

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