लो किरण किरण छुप गयी, बादलों के अनंग !
भगीरथी गीत महिमा, गाये गान मृदंग !!
बड़बोला उद्वेलित है , डोला समीर संग, ,,
स्नेह पूरित मुग्ध उड़ा, जलधर हुआ पतंग !!
मचल गयी है बिजुरिया, उड़ा अनोखा रंग !
थर थराया तड़ाग तो , छुपी जैसे निषंग !!
माटी संग बूँद घुली, सभी हुई बदरंग !
कूद चलती पोखर से, बूँद फिर बूँद संग !!
इंद्रचाप मोहक रे, देख धरा भी दंग !
किरणों की कारीगरी, निखरी नभ के अंग !.... ''तनु''
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