अब कहाँ नदियाँ रह गये नाले है;
अनसुने से कहीं रह गये नाले हैं!
बेच ईमान , नियामतें भी बेच दी!
आस्तीन के नाग रह गये काले हैं!!
थालियों झूठी में मुँह मार फिरते!
छीन कितने ही खा गये निवाले है!!
बोलते कितनी सफाई से झूठ हैं!
काम सफाई के रह गये टाले है!!
जीहुजूरी चपलुसी में मशगुल हैं!
अतिव्यस्त निठल्ले रह गये ठाले है!!
तनु रवानी को उनकी लगे ना नज़र,
बासती कढ़ी में उबाले ही उबाले हैं!!.. तनु
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