ओ पाखी विश्वास के, जकड़े रहना बाँह,
धँसना मत रे बावरे, कीचड़ जैसी राह !
कैसी मन की मलिनता, शहद देख ललचाय, ,,
ओ रे साखी सुकृति के, नहीं भूलना चाह !!... ''तनु''
धँसना मत रे बावरे, कीचड़ जैसी राह !
कैसी मन की मलिनता, शहद देख ललचाय, ,,
ओ रे साखी सुकृति के, नहीं भूलना चाह !!... ''तनु''
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