लो किरण किरण छुप गयी, बादलों के अनंग !
भगीरथी गीत महिमा, गाये गान मृदंग !!
बड़बोला उद्वेलित है , डोला समीर संग, ,,
स्नेह पूरित मुग्ध उड़ा, जलधर हुआ पतंग !! .. ''तनु''
विधना विषमय बेल को, मत दीजे आधार !
विधना विषमय बेल को, मत दीजे आधार !
ये फैले तो अमि हरे, मर जाये संसार !! 'तनु'
डसती हैं नाकामियां, बनकर काले नाग
दुखी मन से आह भरूंकैसे खेलूँ फाग
अब कहाँ नदियाँ रह गये नाले है;
अनसुने से कहीं रह गये नाले हैं!
बेच ईमान , नियामतें भी बेच दी
आस्तीन के नाग रह गये काले हैं
थालियों झूठी में मुँह मार फिरते
छीन कितने ही खा गये निवाले है
कितनी सफाई से झूठ बोलते हैं
काम सफाई के रह गये टाले है
जीहुजूरी चपलुसी में मशगुल हैं
अतिव्यस्त निठल्ले रह गये ठाले है
बोलते कितनी सफाई से झूठ हैं,
काम सफाई के रह गये टाले है!
जीहूजूरी चापलूसी में मशगुल हैं,
अतिव्यस्त निठल्ले रह गये ठाले है!
अतिव्यस्त निठल्ले रह गये ठाले है!
तनु रवानी को उनकी लगे ना नज़र,
बासती कढ़ी में उबाले ही उबाले हैं!
बासती कढ़ी में उबाले ही उबाले हैं!
हौले हौले चाँदनी,सहमी सहमी आय!
सपनों के मोती यहाँ, पलक पलक बिखराय!!... "तनु"
मेरी कविता भाव की , देना ना आघात!
देखो छूना प्यार से ,छुईमुई से ज़ज़्बात!!"तनु"
मेरी कविता हृदय की ,देना ना आघात!
देखो छूना प्यार से ,छुईमुई से ज़ज़्बात!! "तनु"
खाली गगरी मेघ की, फूल गये हैं कास!
मुड़ कर देखे न बदरा, है ऐसा आभास!!
मुड़ कर देखे न बदरा, नीला हैआकाश!
खाली गगरी मेघ की, देखो खिलते कास!"तनु"
जिंदगी में अपना कोई उसूल तो रखना
सफ़र बहुत है लम्बा सामान फज़ूल मत रखना
बोझ कोई भी हो गुनाहों का बोझ ना हो
बेख़ौफ़ तू चला चल कोई रसूल मत रखना
मेरी कविता हृदय से,देना ना आघात!
देखो पढ़ना प्यार से छुईमुई से ज़ज़्बात!!"तनु"
विश्व आँगन हिन्दी का,
भाँति-भाँति के बोल!
विभिन्न भाषाएँ लिए,
जग में बजते ढोल!!•••"तनु"
विश्व आँगन हिन्दी का,
भाँति-भाँति के बोल!
विभिन्न भाषा के बजे,
जग में सुंदर ढोल!!•••"तनु"
विश्व आँगन हिन्दी का,
खूब खिलाओ फूल!
गुलाब सी खुशबू लिये,
महका दो तुम शूल !!•••"तनु"
विश्व आँगन हिन्दी का,
खूब खिलाएँ फूल!
गुलाब सी खुशबू लिये,
महकाएं हम शूल !!•••"तनु"
मेरी हिन्दी फूल सी ,
महकी महकी बात!
वाणी की महिमा कहे,
पारिजात की जात!! "तनु ''
मेरी हिन्दी फूल सी ,
महकी महकी बात!
पढ़ना देखो प्यार से ,
देना ना आघात!!!"तनु"
मेरी हिन्दी फूल सी ,महकी महकी बात!
पढ़ना देखो प्यार से, देना ना आघात!
व्यंजन और स्वर लेकर , छाया नाद निनाद, ,,
वाणी की महिमा कहे,पारिजात की जात!!"तनु"
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