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Sunday, September 23, 2018

वहाँ बारिशें इनायत की यहाँ पर ग़म बरसते हैं!
सदा ख़ानाबदोश से होकर सनम हम भटकते है!!

तलातुम ही तलातुम जिंदगी हमने रौनकें खोई !
ख़्वाबों में आ जाओ देखो सूरत को तरसते हैं!!

बुझ गयी आवाज लेकिन यादों की बस्ती बड़ी !
शराफत की नगरी भली वफ़ाओं में महकते हैं !!

क़द्र तेरी करुँगा अपने वक़्त से नवाजा तूने ! 
चहरों से हट गयी नक़ाब परिंदे फिर चहकते हैं !!

किसी ने आज मेरे नाम हँसी - ख़ुशी लिख दी !
कतरा ही तो था समंदर अब बादल बरसते हैं !!... ''तनु''


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