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Saturday, September 1, 2018

बेटियों तमन्ना जगा लो जिगर में,

बेटियों तमन्ना जगा लो जिगर में, 
फूल बिखरे कितने हैं इस डगर में !

चापलूसी रास तुम्हे ना आएगी, 
तुम अलीम* अव्वल रहना गुज़र में ! . .... बुद्धिमान 

आईने से दूरी तुम बनाकर रखो,  
 खूब सायों की पहचान है शहर में !

तुम खुदी और ख़ुदा में शमिल रहो, 
आजकल नक़्ली खुशबुएँ हैं अगर में !

 तीर कुछ तरकश में तुम अपने रखो, 
 की सियासी मसअले सुर्ख़ हैं ख़बर में !

राह चलतों का यकीं तुम करना नहीं,
है गुज़ारिश ना गुनाह हो नज़र में ! 

जाँफिज़ा* हो बदनीयत न रखना कभी, ... आत्मिक सुख देने वाली 
 बहुत सी खुशियाँ होंगी रहगुज़र में !!... ''तनु''                   

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