बेटियों तमन्ना जगा लो जिगर में,
फूल बिखरे कितने हैं इस डगर में !
चापलूसी रास तुम्हे ना आएगी,
तुम अलीम* अव्वल रहना गुज़र में ! . .... बुद्धिमान
आईने से दूरी तुम बनाकर रखो,
खूब सायों की पहचान है शहर में !
तुम खुदी और ख़ुदा में शमिल रहो,
आजकल नक़्ली खुशबुएँ हैं अगर में !
तीर कुछ तरकश में तुम अपने रखो,
की सियासी मसअले सुर्ख़ हैं ख़बर में !
राह चलतों का यकीं तुम करना नहीं,
है गुज़ारिश ना गुनाह हो नज़र में !
जाँफिज़ा* हो बदनीयत न रखना कभी, ... आत्मिक सुख देने वाली
बहुत सी खुशियाँ होंगी रहगुज़र में !!... ''तनु''
फूल बिखरे कितने हैं इस डगर में !
चापलूसी रास तुम्हे ना आएगी,
तुम अलीम* अव्वल रहना गुज़र में ! . .... बुद्धिमान
आईने से दूरी तुम बनाकर रखो,
खूब सायों की पहचान है शहर में !
तुम खुदी और ख़ुदा में शमिल रहो,
आजकल नक़्ली खुशबुएँ हैं अगर में !
तीर कुछ तरकश में तुम अपने रखो,
की सियासी मसअले सुर्ख़ हैं ख़बर में !
राह चलतों का यकीं तुम करना नहीं,
है गुज़ारिश ना गुनाह हो नज़र में !
जाँफिज़ा* हो बदनीयत न रखना कभी, ... आत्मिक सुख देने वाली
बहुत सी खुशियाँ होंगी रहगुज़र में !!... ''तनु''
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