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Saturday, October 12, 2019

मैं बियाबां को चमन बनाके रखूँगा !

मैं बियाबां को चमन बनाके रखूँगा !
मैं बुझते दीयों को जलाके रखूँगा !!  

तितली औ भँवरे बाग़ के महमान है!  
मैं दुआ दोस्तों की बचाके रखूँगा !!

कोई डाली नाराज़ न होने पाए !
इस बहाने गुलों को सजाके रखूँगा !!

बच्चों सा बहला, दिल नादाँ है मेरा ! 
मैं काग़ज़ की कश्ती बनाके रखूँगा !!

फिसलन बहुत और मैं फिसलूँगा जाना ! 
अब कदम मैं बहुत आज़मा के रखूँगा !!

पढ़ लेते निगाहें ये जमाने वाले !
सभी मन के ज़ज़्बात छुपाके रखूँगा !!

अभी वक्त के मारों की राहें मुझ तक !
मैं आँगन से दर को हटाके रखूँगा !!

मैं इंसा न होता,  क्या पता क्या होता ! 
हुजूरे-ख़ास में सर को झुकाके रखूँगा !!... ''तनु''

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