मैं बियाबां को चमन बनाके रखूँगा !
मैं बुझते दीयों को जलाके रखूँगा !!
तितली औ भँवरे बाग़ के महमान है!
मैं दुआ दोस्तों की बचाके रखूँगा !!
कोई डाली नाराज़ न होने पाए !
इस बहाने गुलों को सजाके रखूँगा !!
बच्चों सा बहला, दिल नादाँ है मेरा !
मैं काग़ज़ की कश्ती बनाके रखूँगा !!
फिसलन बहुत और मैं फिसलूँगा जाना !
अब कदम मैं बहुत आज़मा के रखूँगा !!
पढ़ लेते निगाहें ये जमाने वाले !
सभी मन के ज़ज़्बात छुपाके रखूँगा !!
अभी वक्त के मारों की राहें मुझ तक !
मैं आँगन से दर को हटाके रखूँगा !!
मैं इंसा न होता, क्या पता क्या होता !
हुजूरे-ख़ास में सर को झुकाके रखूँगा !!... ''तनु''
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