सारी श्रमिक की मेहरबानी !
ना यह ऊलजलूल कहानी !!
किसके कारण ये खुशहाली ,
दिन-दिन बढ़ती वैभव-लाली!
हाथों में श्रमिकों के बल है, ,,
देख हथौड़ा, हँसिया, हल है !!
क्या ख़ुदा की महरबानी है,
ये तो श्रमिक की कहानी है !
ताकत ये इतिहास बनी है, ,,
सूखी हड्डी ख़ास बनी है !!
धरती के नीचे का सोना,
सागर का कोई भी कोना !
उन्नति पथ के प्रथम चरण को , ,,
सांस्कृतिक सौंदर्य भवन को !!
श्रमिकों के मन से बनता है,
श्रमिकों के तन से तनता है !
उसने धरा उर्वर बनायी, ,,
मंजिल मंजिल ईंट चढ़ाई !!
श्रमिकों के मन की क़ीमत है,
श्रमिकों के तन की क़ीमत है !
धनिक खेलता सोना चाँदी, ,,
श्रमिक पहनता सूती खादी!!
अभाव की दुनिया उसकी है,
रोटी बिन मुनिया उसकी है !
बहुत बड़ी है दुनिया उसकी
श्रमधारा है मंज़िल उसकी !!
कोई इनका देश नहीं है,
काला गोरा भेष नहीं है !
दुर्दम साहस इनमे होता , ,,
कूड़ा-करकट सोना होता !!
श्रमिक का जीवन सबसे अलग ,
भौगोलिक सीमा नहीं विलग !
लहरों से लेकर अम्बर तक, ,,
हरके दैविक-भौतिक संकट !!
ना यह ऊलजलूल कहानी!
सारी श्रमिक की मेहरबानी!!... ''तनु''
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