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Tuesday, October 8, 2019

ना यह ऊलजलूल कहानी !


सारी श्रमिक की मेहरबानी !
ना यह ऊलजलूल कहानी !!

किसके कारण ये खुशहाली ,
दिन-दिन बढ़ती वैभव-लाली!
हाथों में श्रमिकों के बल है, ,,
देख हथौड़ा, हँसिया, हल है !!

क्या ख़ुदा की महरबानी है,  

ये तो श्रमिक की कहानी है !
ताकत ये इतिहास बनी है, ,, 
सूखी हड्डी ख़ास बनी है !!

धरती के नीचे का सोना,

सागर का कोई भी कोना !
उन्नति पथ के प्रथम चरण को , ,,
सांस्कृतिक सौंदर्य भवन को !!

श्रमिकों के मन से बनता है, 

श्रमिकों के तन से तनता है !
उसने धरा उर्वर बनायी, ,, 
मंजिल मंजिल ईंट चढ़ाई !!

श्रमिकों के मन की क़ीमत है, 
श्रमिकों के तन की क़ीमत है !
धनिक खेलता  सोना चाँदी, ,,
श्रमिक पहनता  सूती खादी!!

अभाव की दुनिया उसकी है, 

रोटी बिन मुनिया उसकी है !
बहुत बड़ी है दुनिया उसकी 
श्रमधारा है मंज़िल उसकी  !!

कोई इनका देश नहीं है,  

काला गोरा भेष नहीं है !
दुर्दम साहस इनमे होता , ,,
कूड़ा-करकट सोना होता !!

श्रमिक का जीवन सबसे अलग , 
भौगोलिक सीमा नहीं विलग !
लहरों से लेकर अम्बर तक, ,,
हरके दैविक-भौतिक संकट !!

ना यह ऊलजलूल कहानी!
सारी श्रमिक की मेहरबानी!!... ''तनु''

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