जीवन की छोटी छोटी खुशियों से !
माटी के इन नन्हे नन्हे दीपों से !
सारे भवन जगमग जगमगाए हैं !!
अंधियारी अमा की रजनी न्यारी !
दीपक झलमल ज्योति झिलमिलाये है !!
मन मरुथल में नव दीपक भावों के !
भाव प्रवण हो सब कुछ कह पाए हैं !!
जलते कब तक अब ये क्षीण हो चले !
तारक-शशि, दीपक अब बन पाए हैं !!
चरण देख मुग्ध हुई काव्य वाटिका !
कविता के नव प्रसून खिलखिलाये हैं ! ... ''तनु''
भाव प्रवण हो सब कुछ कह पाए हैं !!
जलते कब तक अब ये क्षीण हो चले !
तारक-शशि, दीपक अब बन पाए हैं !!
चरण देख मुग्ध हुई काव्य वाटिका !
कविता के नव प्रसून खिलखिलाये हैं ! ... ''तनु''
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