बसंत बीच अटकी साँस ले मुरझा रही है ज़िन्दगी !
काया हड्डियों की बन सिकुड़ती जा रही है ज़िन्दगी !!
बिखरे विनाश और दुख के बीच कहाँ ठिकाना पाऊँ , ,,
प्राणों का गीत अधूरा गह गह गा रही है ज़िन्दगी !!... ''तनु''
काया हड्डियों की बन सिकुड़ती जा रही है ज़िन्दगी !!
बिखरे विनाश और दुख के बीच कहाँ ठिकाना पाऊँ , ,,
प्राणों का गीत अधूरा गह गह गा रही है ज़िन्दगी !!... ''तनु''
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