भावों की कलिका है टेसू,
और फिर कविता है टेसू!
कैसा सुंदर फैला हर सू, ,,
फागुन में सविता है टेसू!!
वन में पतझर मतवाला,
लौ पलाश की ऐसी बाला!
कोंपल देखो दिन दिन बढ़ती, ,,
चम्पई चाँदनी में कहती
मौसम बना अपना शुभेच्छु,
और फिर कविता है टेसू !!
नटी बावली बासंती ने
सजा लिये सुंदर से गहने!
लाल चटक संतरी संतरी, ,,
चम्पई चाँदनी में उतरी ,
खिलते प्यारे किंशुक केसू
और फिर कविता है टेसू!!
चमकीली सी आभा वाला
रेशमी लाल चमका आला,
हर फुनगी पर चिनगी कलियाँ,
झूम झूम करें रंगरलियाँ!
वसंत की आग जिसे ले छू,
और फिर कविता है टेसू!!
उतरे डाली से फूल लाल ,
रंगी होली अबीर गुलाल!
चढ़े फागुन पर गहरा रंग, ,,
आज बसंत ने बदला ढंग!
यूँ खुशियाँ उपहारों से दूँ ,
और फिर कविता है टेसू !!..... ''तनु''