मैं ख़िज़ाँ को अग्यार कहता हूँ !
ए पलाश तुझे बहार कहता हूँ !!
तुझी में जिंदगी शुमार कहता हूँ !
ए ख़ुदा मैं इंतज़ार कहता हूँ !!
सितम नहीं ज़ुल्मो से वास्ता नहीं !
मैं खुद ही पे एतबार कहता हूँ !!
मैं दुनिया का रेहन हूँ मानता हूँ !
मैं जहां को बहुत प्यार कहता हूँ !!
कोशिश है कायनात ज़िंदा रक्खूँ !
मैं उसी पर जाँ निसार कहता हूँ !!
और फ़क़ीर को क्या चाहिए बोलो !
न तो नक़द है ना उधार कहता हूँ !!
इसी अदा पे तो ज़माना फ़िदा है !
ख़ुद ही को अपना यार कहता हूँ!!..... ''तनु''
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