रवि का अमि घट फागुन में
चुपके चुपके ढुलता है
तभी पलाश फुनगी नहीं
सबके दिल में खिलता है
ललाई लिए गाल लाल
बिंदिया से शोभित भाल
साजन और सजनी संग
सपने मीठे बुनता है--- तभी पलाश
परिंदों के घोसलों में
अंकुरित हुए पौधों में
जीव जीव में साँस लिए
जीवन जीवन भरता है---तभी पलाश
ईश्वर प्रदत्त प्रेम की
हित सबके कुशल क्षेम की
मधुमयी कामना लेकर
पीड़ाओं को हरता है---- तभी पलाश
चहुँ ओर छा गयी बहार
कलियों की मीठी गुहार
सबको मिल जाये खुशियाँ
कानों में ये कहता है----तभी पलाश
मुस्काती चितवन भोली
चहकी बोली अनबोली
मनुहार के कितने रंग
प्यार स्वीकार करता है ----तभी पलाश ... ''तनु''
चुपके चुपके ढुलता है
तभी पलाश फुनगी नहीं
सबके दिल में खिलता है
ललाई लिए गाल लाल
बिंदिया से शोभित भाल
साजन और सजनी संग
सपने मीठे बुनता है--- तभी पलाश
परिंदों के घोसलों में
अंकुरित हुए पौधों में
जीव जीव में साँस लिए
जीवन जीवन भरता है---तभी पलाश
ईश्वर प्रदत्त प्रेम की
हित सबके कुशल क्षेम की
मधुमयी कामना लेकर
पीड़ाओं को हरता है---- तभी पलाश
चहुँ ओर छा गयी बहार
कलियों की मीठी गुहार
सबको मिल जाये खुशियाँ
कानों में ये कहता है----तभी पलाश
मुस्काती चितवन भोली
चहकी बोली अनबोली
मनुहार के कितने रंग
प्यार स्वीकार करता है ----तभी पलाश ... ''तनु''
No comments:
Post a Comment