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Wednesday, February 12, 2020

रवि का अमि घट फागुन में

रवि का अमि घट फागुन में
चुपके चुपके ढुलता है
तभी पलाश फुनगी नहीं
सबके दिल में खिलता है

ललाई लिए गाल लाल
बिंदिया से शोभित भाल
साजन और सजनी संग
सपने मीठे बुनता है--- तभी पलाश

परिंदों के घोसलों में
अंकुरित हुए पौधों में
जीव जीव में साँस लिए
जीवन जीवन भरता है---तभी पलाश

ईश्वर प्रदत्त प्रेम की
हित सबके कुशल क्षेम की
मधुमयी कामना लेकर
पीड़ाओं को हरता है---- तभी पलाश

चहुँ ओर छा गयी बहार
कलियों की मीठी गुहार
सबको मिल जाये खुशियाँ
कानों में ये कहता है----तभी पलाश

मुस्काती चितवन भोली
चहकी बोली अनबोली
मनुहार  के कितने रंग 
प्यार स्वीकार करता है ----तभी पलाश ... ''तनु''

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