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Sunday, February 16, 2014

छत्तीस का आंकड़ा और निनानवे का फेर





कभी-कभी भगवन रचे , जीवन में कुछ ख़ास।
अंक  छत्तीस जो  मिले, तो कर न मन उदास।
तो कर न मन उदास,   निभा सारा जीवन लें ,
फल जनमों का सात , ले लें इक ही जनम में        
निखर निखर बन जाय साइंसदान और कवि
मनुज के माननीय,     सज्जन बन जायें कभी

निनानवे के फेर में,      उलझ गए इक बेस !
उलटी गिनती हो गयी, लगी न बिलकुल देर!!
लगी न बिलकुल देर, सोचा होगी हताशा ,
होगा पूरा काम ? अब तो मिलेगी निराशा ,
काम होते सबेर,          बड़े यत्न से बावरे !
न आँकड़ा छत्तीस ,    ना फेरता निनानवे !!…तनुजा  ''तनु'' 24 -07 -1980




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