काग़ज़ की
चकरी का चक्कर,
चले हवा से बेहतर
बेहतर ,
जब चलती हवा लगाता.
चक्कर ,
पे चक्कर..
रंग बिरंगा कई रंगों में ..
उलझता उलझाता,
अटकता अटकाता,
भटकता भटकाता,
मन बच्चों का ..
रुक रुक जाते बच्चे .
देख निरखते बच्चे
कैसे घूमा ? कैसे घूमता ?
कैसे चलता ?
ये कागज़ का चक्कर ?
जैसे हवा चलाती इसको .
वैसे चलता जीवन .
तेज़ हवा में खुश हो घूमता ,
रूकती हवा रुक जाता,
घूमता तो ख़ुशी है देता ……
रुकता तो रुलाता ,
सुख दुःख,
दोनों मानव के…
आँगन …
आते जाते रहते ,
दोनों की है रचना करता …
ऊपर वाला दाता। ...................... तनुजा 'तनु'
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