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Thursday, February 20, 2014

फेसबुकिया फाग

फेसबुकिया फाग 
मित्रों आपने  होली के कई रंग देखे होंगे अब देखिये फेसबुकिया फाग …क्या  कोई ले गया . क्या कोई दे गया देखिये फागुन फेसबुक संग..             

पड़ोस 
पड़ोस में मेरे कौन है ?
मैं नहीं जनता हूँ
पर फेस बुक
के दोस्तों को 
स्टेटस सहित पहचानता हूँ 


दोस्त 
दोस्त कितने ?
फालोअर्स कितने ?
नाम के 
या काम के

स्टेटस 
स्टेटस पर जाँ देते यूँ 
मानो दोस्त ही हो  
पर ,
पर वही दोस्त गर  
सामने 
 आजाये तो 
उसको निहारते 
खीसे निपोरते क्यूँ  

स्टेटस 
कमेंट्स तो होते 
ऐसे 
ज्यों तकिया (स्टेटस )
रुई रुई हुआ 

फोटो देखकर लगे 
नथुने फुलाती 
 फुफ्फकारती
भैंस 
पर सुंदर  कहो  



मैं मन मसोस
कर रह गयी 
अपनी कविता 
 किसी और ने  कॉपी की  
और वो ढेर लाइक  (like )
ले गयी 


वातायन  

timeline के वातायन से 
आया भ्रमर दोस्त 
डंक मार दोस्ती का 
कर गया बेहोश
ले गया कापी कर 
मेरी 
कविताएँ। 


इल्ली  

इल्ली ?
इल्ली  हाँ  इल्ली 
जिसे बोलते हो वही 
है इल्ली (  जिसे टैग करते हैं )
बिचारी 
तिनके के सहारे से उठाते 
  हैं न  उसे
लड़खड़ाती गिरती 
गिरती फिर भी न गिर पाती  
और हो जाती 
क्या ?
   टैग


कोई 

कोई घूम फिर कर 
आँगन से कमरे 
कमरे से कमरे  
और 
सीढियाँ चढ़ छत पर 
चला गया 
बचाना , बचना 



छींटे 
 छींटे कैसे 
उड़ते ?
टैगियों की  टोली ने 
छतरी जो तान दी थी 

छत्र छाया 
दस की  छात्र छाया में 
एक 
टैगी चला 
जिन्हे साथ लेकर चला 
उन्हें लाइक  like  लगाना भूल गया 


पोस्ट 

अपनी पोस्ट की 
 झूलती 
 लड़खड़ाती 
 बलखाती पतंग 
को बेलेन्स करना  है 
 तो  टैग करना ही है  
उड़ेगी झक्कास  

group 

आठ हज़ार का group 
पोस्ट आठ 
कमेंट्स तीन 
लाइक  एक। .. ''तनु ''

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