दुखी हो भगवान धरती पे रखना चाहे कदम
सोचने का मौका नहीं, न करने दे रेफरेंडम
न करने दे रेफरेंडम सोचा आ धूम मचा दूँ
जैसी करनी वैसी भरनी का अर्थ समझा दूँ
सोच कुछ ऐसा भगवन मन ही मन मुस्काये
मौसम के बदले रूप में प्रभु ने दर्शन दिखलाये
एक दिन सर्दी एक दिन गर्मी एक दिन बहार
मौसम में ढाला प्रभु ने मानव का व्यवहार
मानव का व्यवहार देख बहुत हुए अचंभित
उल्टा पुल्टा बेतरतीब देख हुए बहुत चिंतित
मानव का बदला व्यवहार देखो कैसी आफत ढाये
दिन दिन दूना बदला मौसम सबको खूब रुलाये, ,,''तनु''
No comments:
Post a Comment