Labels

Thursday, February 6, 2014

बसंती बयार





बसंती बयार 

बसंती बयार ,

लो आई बहार।
  धरा  हंसी हंस दी यूं,
उपासना पर्व  !
उत्तरायण सूर्य !!
जाड़े की  ठिठुरन,
 ख़त्म हुई,
नई ,
अंगड़ाई ले।
प्रकृति दे रही सन्देश।
 देखो !
 पतझड़ बीता ,
फूटे शिशु कोंपल !
कूकी कोयल !!
बौरे आम महक बहक ,
 हल्दी चना ,
  सरसों गेहूं ,
 श्रृंगारित भू !
 कर वंदन !!
चरण छू !!!  
 बसंती बयार 
लो आई  बहार   15 -2 -1978


No comments:

Post a Comment