बसंती बयार
बसंती बयार ,
लो आई बहार।
धरा हंसी हंस दी यूं,
उपासना पर्व !
उत्तरायण सूर्य !!
जाड़े की ठिठुरन,
ख़त्म हुई,
नई ,
अंगड़ाई ले।
प्रकृति दे रही सन्देश।
देखो !
पतझड़ बीता ,
फूटे शिशु कोंपल !
कूकी कोयल !!
बौरे आम महक बहक ,
हल्दी चना ,
सरसों गेहूं ,
श्रृंगारित भू !
कर वंदन !!
चरण छू !!!
बसंती बयार
लो आई बहार 15 -2 -1978
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