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Monday, November 16, 2015

 आतंकवादी 

तुझे कुछ याद नहीं होगा ,
 खून बहा क्यों बहा ?
 दिल किसी का रोया होगा,
 वो आँसू बहा क्यों बहा ?


 पल में बदन राख हुए ,
 पल में रुण्ड विखण्ड हुए !
 तुझे कारण क्या पता ,
 वो मजलूम मरा क्यों मरा !
  तुझे कुछ याद नहीं होगा;
 खून बहा क्यों बहा ?


बिन मकसद अत्याचार,
इंसानियत पर होता वार !
ऊपर बैठा ईश्वर देखे
तू न डरा क्यों न डरा ??
तुझे कुछ याद नहीं होगा
 खून बहा क्यों बहा ?
 दिल किसी का रोया होगा
 वो  … वो आँसू बहा क्यों बहा ?


ज़ख्म दिखते न तलवों के ,
 दिखते नहीं मन के घाव
राह ए तलब क्या यही है तेरी,
  तू उस ओर बहा क्यों बहा
 तुझे कुछ याद नहीं होगा
 खून बहा क्यों बहा ?
 दिल किसी का रोया होगा
 वो  … वो आँसू बहा क्यों बहा ?



आतंक … खून मासूमों का
 और निगाहें सवाली ??
ईश्वर का बना इंसानियत का मंदिर
बोल ढहा क्यों ढहा !
तुझे कुछ याद नहीं होगा
 खून बहा क्यों बहा ?
 दिल किसी का रोया होगा
 वो  … वो आँसू बहा क्यों बहा ?


क्षितिज से उगता सूरज देख,
 रात  की बाहों में सो !
मानवतावादी था तू तो
आतंकवादी रहा क्यों रहा 
तुझे कुछ याद नहीं होगा
 खून बहा क्यों बहा ?
 दिल किसी का रोया होगा
 वो  … वो आँसू बहा क्यों बहा ?


मज़हब से बड़ा मुल्क है ;
आतंक से बड़ी है मानवता !!
देख प्यार का मोल नहीं है ,
अब तो तू सम्हाल जा !!
तुझे कुछ याद नहीं होगा
 खून बहा क्यों बहा ?
 दिल किसी का रोया होगा
 वो  … वो आँसू बहा क्यों बहा ?

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