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Sunday, November 15, 2015

चाँद बेनूर ग़ुम,  एहतमाम शमा का चाहिए ;
बादलों में आफताब , झौंका हवा का चाहिए ! 

शाम आयी  और आहें, क्यों वही दिन रात है ?
थाम कर बाहें चलो , तुम्हारा' सहारा चाहिए .... 

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