चाँद बेनूर ग़ुम, एहतमाम शमा का चाहिए ;
बादलों में आफताब , झौंका हवा का चाहिए !
शाम आयी और आहें, क्यों वही दिन रात है ?
थाम कर बाहें चलो , तुम्हारा' सहारा चाहिए ....
बादलों में आफताब , झौंका हवा का चाहिए !
शाम आयी और आहें, क्यों वही दिन रात है ?
थाम कर बाहें चलो , तुम्हारा' सहारा चाहिए ....
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