कैसा फ़र्ज़
कैसा फ़र्ज़ आश्ना है बंदूक नाम हिसाब का ?
लगता है, जिंदगी में नहीं काम किताब का !
दश्त - ए - हयात में सबा अफ़सुर्दा है क्यों ?
राहें नामालूम सी, फिर भटकना सराब का !
दम-ब-दम इंतज़ार मुझे, तेरे लौट आने का ;
दर-ओ-दीवार लिए बैठी तेरे पहले जवाब का !
खून खराबा कहाँ पढ़ा सिखाया किस अदीब ने ??
कहाँ गढ़ी कहानियाँ सबक कहाँ के निसाब का , ,,
फरिश्ता बन समझाए कौन दे बाहों का सहारा ?
'तनु' दर्द जाना होता, सैल-ए-चश्म-ए-पुर-आब का ! …तनुजा ''तनु ''
कैसा फ़र्ज़ आश्ना है बंदूक नाम हिसाब का ?
लगता है, जिंदगी में नहीं काम किताब का !
दश्त - ए - हयात में सबा अफ़सुर्दा है क्यों ?
राहें नामालूम सी, फिर भटकना सराब का !
दम-ब-दम इंतज़ार मुझे, तेरे लौट आने का ;
दर-ओ-दीवार लिए बैठी तेरे पहले जवाब का !
खून खराबा कहाँ पढ़ा सिखाया किस अदीब ने ??
कहाँ गढ़ी कहानियाँ सबक कहाँ के निसाब का , ,,
फरिश्ता बन समझाए कौन दे बाहों का सहारा ?
'तनु' दर्द जाना होता, सैल-ए-चश्म-ए-पुर-आब का ! …तनुजा ''तनु ''
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