Labels

Monday, November 23, 2015

कैसा फ़र्ज़ 

कैसा फ़र्ज़ आश्ना है बंदूक नाम हिसाब का ?
लगता है, जिंदगी में नहीं काम किताब का !

दश्त - ए - हयात में सबा अफ़सुर्दा है क्यों ?   
राहें नामालूम सी, फिर भटकना सराब का !  

दम-ब-दम इंतज़ार मुझे,  तेरे लौट आने का ;
दर-ओ-दीवार लिए बैठी तेरे पहले जवाब का ! 

खून खराबा कहाँ पढ़ा सिखाया किस अदीब ने ??  
कहाँ गढ़ी कहानियाँ सबक कहाँ के निसाब का , ,,  

फरिश्ता बन समझाए कौन दे बाहों का सहारा ?
'तनु' दर्द जाना होता, सैल-ए-चश्म-ए-पुर-आब का !  …तनुजा ''तनु ''

No comments:

Post a Comment