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Wednesday, November 11, 2015

दीवो म्हे माटी रो, चाँद री चाहत नी;
अंधड़ में जलूं करूँ  कदि शिकायत नी !  
उखड़ती भी वे जो म्हारी सांस कदी , 
जाणु राह में आफत हे , पण कयायत नी !! ....   तनुजा ''तनु ''

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