दीवो म्हे माटी रो, चाँद री चाहत नी;
अंधड़ में जलूं करूँ कदि शिकायत नी !
उखड़ती भी वे जो म्हारी सांस कदी ,
जाणु राह में आफत हे , पण कयायत नी !! .... तनुजा ''तनु ''
अंधड़ में जलूं करूँ कदि शिकायत नी !
उखड़ती भी वे जो म्हारी सांस कदी ,
जाणु राह में आफत हे , पण कयायत नी !! .... तनुजा ''तनु ''
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