मानवता
इक सद्गुण तू मानवता का धार ले ;
इक सद्गुण तू मानवता का धार ले ;
दुखों के दरिया से सब को उबार ले !
हँसते लब हों सबके, फ़रियाद न हो ;
दर्द वाले दिलों को दिल अपने उतार ले !
मनहूस मौत !! जीवन की कीमत है ;
ले प्रभु का नाम फूल बसंत बहार ले !
सिवा प्रभु के डरना नहीं पाप से ड़र ;
कोई ख़्वाब प्यारा सा नैनो में डार ले !
पत्थर भी बोलते हैं बूंदों को तौलते हैं ;
पत्थरों से प्यार कर बुतों को निहार ले!
नही हारते हौसले आँधियों से;
दीप खुशियों के आँधियों में बार ले !,,,, तनुजा ''तनु ''
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