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Sunday, November 15, 2015

मानवता 

इक सद्गुण तू मानवता का धार ले ;
दुखों के दरिया से सब को उबार ले !

हँसते लब हों सबके,   फ़रियाद न हो ;
दर्द वाले दिलों को दिल अपने उतार ले ! 

मनहूस मौत !! जीवन की कीमत है ;  
ले प्रभु का नाम फूल बसंत बहार ले !

सिवा प्रभु के डरना नहीं पाप से ड़र ;
कोई ख़्वाब प्यारा सा नैनो में डार ले !

पत्थर भी बोलते हैं बूंदों को तौलते हैं ;
पत्थरों से प्यार कर बुतों को निहार ले!  

नही हारते हौसले आँधियों से;
दीप खुशियों के आँधियों में बार ले !,,,, तनुजा ''तनु ''

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