दीया हूँ मैं माटी का, चाँद की चाहतें नहीं ;
तूफां में भी जलता हूँ, करता शिकायतें नहीं !
तनाब मेरी साँसों की कभी उखड़ती भी है तो , ,,
जानता हूँ राह में आफतें हैं, कयामतें नहीं !!
तूफां में भी जलता हूँ, करता शिकायतें नहीं !
तनाब मेरी साँसों की कभी उखड़ती भी है तो , ,,
जानता हूँ राह में आफतें हैं, कयामतें नहीं !!
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