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Friday, August 31, 2018

मत करना ये भूल !

अंकुर था सींचा नहीं,   की यह कैसी भूल !
सूख गया हैं गात जब,  क्या सींचे रे  मूल !!

रोय रही रजनी बेचारी, खोय गया मान है !
आ गया बादलों का उत्सव, लो गर्जन गान है !!
बिजुरी की चमक डराय रही , करे पवन आघात , ,,
नींद सितारों की खोय गयी , कैसा व्यवधान है !!... ''तनु''


निर्दय होकर तोड़ना, मत करना ये भूल !
 शोभित होते डाल पर,   रंग बिरंगे फूल  !!

अफवाहें तो झूठ है,       और सभी निर्मूल !
करके विश्वास इनपर, मत करना यह भूल !!

अच्छी बात है अच्छी,   बुरी बात है शूल !
चुभे शूल तो दर्द है, मत करना यह भूल !!

अंकुर सँवार लीजिये,  बाकी सब निर्मूल !                      
पात फूल पर जल नहीं, सीँचा जाता मूल !!.. ''तनु''

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