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Wednesday, November 27, 2019

बिछड़े मीत



मन की पीर छुपा ना पाऊँ !
मन भाते सुर गा ना पाऊँ !!

उखड़ी उखड़ी सी साँसें हैं ,
उजड़ी उजड़ी सी रातें हैं !
जो चाँद अकेला रूठ गया , .. 
लगी सितारों की घाते हैं !!
किससे आशा मन समझाऊँ !!.... मन भाते सुर गा  ना पाऊँ

धूप गुनगुनी गुनगुनी खिले, 
यूँ हवा चले फिर कली खिले !
फिर गीत भ्रमर जो गायेगा, ..  
जन्मों के बिछड़े मीत मिले !!
कब कैसे दिल को समझाऊँ !!.... मन भाते सुर गा  ना पाऊँ

सावन की बदली चोर बनी, 
भादों की बदली घोर बनी !
सूरज के पाखी हार गये , ..  
सोती सोती सी भोर पली !!
सजना सपन साजन बुलाऊँ !!.... मन भाते सुर गा  ना पाऊँ

इक दुपहर की धूप अकेली ,
जाने कहाँ कहाँ थी डोली !
जिद्दी आँगन और छज्जे ने, .. 
दरवाज़े की चीर न खोली !!
खिड़की कहती झुलसी जाऊँ !!.... मन भाते सुर गा  ना पाऊँ 

जो खिल जाये मुस्कानो में , 
इन रातों में  इन साँसों में !
एक मुट्ठी किरणें भोर की, ,,
चमकती ओस सी फूलों में !! 
कुछ ऐसे सपने पा जाऊँ !! .... मन भाते सुर गा  ना पाऊँ। ... ''तनु''

सजा ली साँझ जीवन की


सजा ली साँझ जीवन की
हटा सच झूठ का ताना !
मगन मन कर्म की चिड़िया, 
बुनी थी चाँद सा बाना !!..

बटोही आज राहों का, 
चला जग में रुचा मग में !
सितारों को बना चाहत, 
सजाकर आप पहचाना !!
मगन मन कर्म की चिड़िया, 
बुनी थी चाँद सा बाना !!..

कभी तो चाह मन भर की,
हुई पूरी मैं जानूँगा !
सभी करता रहा जी की
कभी मन झाँक ना जाना !!
मगन मन कर्म की चिड़िया, 
बुनी थी चाँद सा बाना !!..

बड़ी थी ऐंठ दौलत की,
कहीं था मुग्ध अपने पे !
बहुत से रूप धारे थे,
कभी जी राम ना माना !!
मगन मन कर्म की चिड़िया, 
बुनी थी चाँद सा बाना !!..

घटे पल पल घिसे गल गल,
चदरिया जिंदगानी की ! 
गगरिया गल रही माटी, 
यहीं सब छोड़ना-जाना !!
मगन मन कर्म की चिड़िया, 
बुनी थी चाँद सा बाना !!..''तनु ''


Tuesday, November 26, 2019

रात की गाँठ मत खोलो,

रात की गाँठ मत खोलो,
अधूरा चाँद टूटेगा !
सजे दिन के घरौंदे में, सलोना ख़्वाब रूठेगा !!

ये भावों की कहानियाँ,
नदी की धार सी बहती !
कह न पाये सुन न पाये,  निरुत्तरित प्रश्न उठेगा !!

अमराई के आमों को,
भ्रमर की गुणी तानों को
हृदय मकरंद गुनता है, कभी तो शब्द फूटेगा !!

अँधेरे को समेटोगे,
अँधेरा भी नहीं रुकता !
फ़लक को भेद कर के फिर, नया सा सूरज उगेगा !!

भरी झुर्री सफेदी सर,
आँतों का ना दाँतों का !
छुपे क़दमों तले चुपके,  वक़्त हर वकत लूटेगा !!

एक दरपन जैसा उफ़क़ ,
देखता साँझ और सुबह !
किरणों से दिन लिखकर के. चाँदनी रात ढूँढेगा !!... ''तनु''



Friday, November 22, 2019

टेढ़ापन इसका कहूँ, बैठा मुँह को मोड़ !

टेढ़ापन इसका कहूँ, बैठा मुँह को मोड़ ! 
पर टेढ़े भाते कहाँ,   तोड़ सके तो तोड़ !!

गये समय को टेरना, बहुत बुरी है बात !

गया समय आये नहीं, अपने करते घात !!

कपट कटारी साध कर, उड़ने को बेताब !

हम फूल एक डाल के,  काहे तोड़े ख़्वाब !!

हृदयहीन बिलकुल नहीं, कहता मन की बात !

हूँ मैं तेरा राजदाँ,    इक अपनी है जात !!

पर फैलाये उड़ चलूँ,  चल तू मेरे साथ ! 

जहाँ चोंच दाना मिले, काम हाथ को हाथ!!... ''तनु'' 

Thursday, November 21, 2019

आँख्यां मे थारे जोगी, बन्दगी भी नई !

आँख्यां मे थारे जोगी, बन्दगी भी नई !
चढती घटती साँसां में, तिशनगी भी नई !!

नई दरियादिली,  नई दरिया रे बहे   !
आई गी  मौत तो,  ज़िन्दगी भी नई !!

वाट जोवे टकटकी, रया नि वी लोग !
वा कुर्वत वो मरासिम, आमादगी भी नई  !!

आयो कुण यो संजीदगी साथे लायो !
शोख़ ग़ज़लां रोवे दिल्लगी भी नई !!

मारग अंधारो घणो सूझे नइ सूझ !
खोई गयो नूर, की वा ताज़गी भी नई !!

खिल्यो रूप,  निखर्यो, चालवा री बेला !
इश्क़ की रूहानी, पाक़ीज़गी भी नई !!

गाम एक देश एक सौदाई ई सारा !
चाल ''तनु'' अब कणि से नाराज़गी भी नई !!... ''तनु''

आँखों मे जोगी सी बन्दगी ना रही !

आँखों मे जोगी सी बन्दगी ना रही !
चढती साँसों में तिशनगी ना रही !!

ना दरियादिल है ना दरिया ही रहा !
शोख़ ग़ज़लों में दिल्लगी ना रही!!

रहे ना एकटक वो निहारने वाले !
कुर्वत वो मरासिम, आमादगी ना रही !!

कौन आया है संजीदगी ले कर !

आ गयी मौत लो ज़िन्दगी ना रही !!

तीरगी कितनी राहों में देख ले !
खो गया नूर की वो ताज़गी ना रही !! 

यूँ खिला जिस्म, निखरा, हो गया बूढ़ा ! 

इश्क़ की रूहानी पाक़ीज़गी ना रही !! 

क ही शहर के 
बाशिंदे ये सौदाई !
अब तो ''तनु'' किसी से नाराज़गी ना रही !!... ''तनु''

Tuesday, November 19, 2019

आकर कान में मेरे चुपके से कोई कहता है !


आकर कान में मेरे चुपके से कोई कहता है !
धीरे - धीरे लहरों पर जैसे दीप कोई बहता है !!

मन की बातें लब पे मेरे कैसे आ जातीं हैं !
दर्द जमाने का दिल में शायद कोई सहता है !!

कैसी - कैसी रीत चली और कैसे कैसे मेल मिले !
आँसू जमीन पर गिरा नहीं ये दर्द कोई सहता है !!

देखो तिनका - तिनका होकर ज्यों नीड़ बिखरता जाता !
तेज़ बली आँधियों में जब भी दरख़्त कोई ढहता है !!

कभी - कभी इतनी मुहब्बत के आँखें भर - भर आएँ !
मानों चंदा के नयनो में रात को कोई दहता है !!

कभी मिले प्रिय जो कोई तो कह दूँ जी की बात !
ज्यों दुख - सुख की कड़वी - मीठी पीड़ा कोई लहता है !! ... ''तनु''


Wednesday, November 13, 2019

कैद ये कैसी रही, उम्मीद भी रोने न दे !



कैद ये कैसी रही, उम्मीद भी रोने न दे !
आस थी ऐसी की तेरी दीद भी रोने न दे !! 

प्यार लौटाना इन बुतों की फितरत में नहीं !
दिल ये पत्थर बन गया मुरीद भी रोने न दे !! 

दामन में खुशियाँ लिए हम भी बहुत मग़रूर थे ! 
रंज की तासीर भी रही खरीद भी रोने न दे !!

ऐ नसीब बनाने वाले गर्दिशे तकदीर देख !
 बेतरह बिगड़ी तस्वीर फ़हमीद भी रोने न दे !!..

जब ख़ुशी देनी न थी क्यों ख्वाब आँखों को दिये !
अब खुली जब आँख तो तनक़ीद भी रोने न दे !!..

शम्स ना तारा न जुगनू अदना बहुत किरदार से !
दर पे तेरे आ पड़ा दिल मुफीद भी रोने न दे !!

क़ासिद मेरे ,तू कभी पैगाम लाये तो पढूँ ! 
ख़त लिखेगा वो मुझे क्या ? ताकीद भी रोने न दे !!... तनुजा ''तनु" 

Tuesday, November 5, 2019

कहना प्रीत निभानी है

कहना प्रीत निभानी है !
मेरी ये मनमानी है !!

तुझे देख के जी लूँगी !

इसमें क्या हैरानी है !!

एक प्यार है इक हैं हम !

बात यही पुरानी है !!

कितनी बातें कितने ख़त !

अपनी यही कहानी है !!

हँसता हँसता जीवन है !

मौजों मौज रवानी है !!

चाँद खिले तारे चमके !

दिन दूना असमानी है !!

तुम आओ रात हँसेगी !

आँखें रोज़ बिछानी हैं !!

रंग हीना का बढ़ेगा ! 
इतनी सरल कहानी है !!

और कभी समझ न आये !
सहज सरल आसानी है !! ...... ''तनु''

Monday, November 4, 2019

लहू के शोर की सुनाई नहीं है



लहू के शोर की सुनाई नहीं है !
तुझे  इंसानियत आई नहीं है !!

अक़्ल तेरी  हुई पत्थर, सही है !
यहाँ तूने ही फतह पाई नहीं है !!

हँसे वो तो, हँसे तू भी, ख़ूब है !
सुन उसकी बात में सच्चाई नहीं है !!

हवा का शोर तेरी उलझने है !
अभी तूफ़ान है, अँगड़ाई नहीं है !!

गिराये आशियाने बंदगी के !
नहीं ऐसी नीयत कमाई नहीं है !!

है तेरे पास ही सारी ख़ुदाई !
क्या आवाज तुझ तक आई नहीं है !!

करूँ क्या समझ कर नासमझ तू है !
सभी इंसा आपस में भाई नहीं है !!

ना आये साँस शमशीरों के साये में !
हैं रावण कोई भी साँई नहीं है !!

कभी तो तजुरबों से काम ले ले ! 
हटा लेना नज़र भलाई नहीं है !!... ''तनु''

Sunday, November 3, 2019

साँच कहना चाहिए अब !

साँच कहना चाहिए अब !
झूठ  डरना  चाहिए अब !!

रात काली बीत जाये !

दिन निकलना चाहिए अब !!

आँसुओं से प्यास बढ़ती !
प्रेम घट घट चाहिए अब !!

आग आग से नहीं बुझेगी !

दरिया बहना चाहिए अब !!

हो गयी गहरी दरारें !
घाव भरना चाहिए अब !!

दिल में अपने प्यार का इक !

दीप जलना चाहिए अब !!

नींद तजकर जागिये भी !

खुद संभलना चाहिए अब !!

एक ठहरा ताल बन कर !

नहीं ठिठकना चाहिए अब !!

ये ज़माना नया ज़माना !
साथ चलना चाहिए अब !!

साजिशों के जाल बुन मत !

तुझे रुकना चाहिए अब !! .... "तनु"

Friday, November 1, 2019

बुतक़दे में क्यों सजाते हम हैं पत्थर ;
फिर दिलों को क्यों बनाते हम हैं पत्थर !

हादसों ने जब बिगाड़ा जिंदगी को ;
चोट अपने ही लगाते कम हैं पत्थर !

बोलना सच इमान हर इंसान का ;
राह इंसानियत की हर दम हैं पत्थर !

खून कितने ही बहा कर चुप रहेगा ;
जाबजा पत्थर दिल ओ हमदम है पत्थर !

इक अनोखा रंग था इकरार का भी ;
मोम खुद को ही बनाता सनम है पत्थर !

एक रेले संग बह गयी है जिंदगी ;
रोक लेगा राह में ही वहम है पत्थर !

एक गुड़िया चुप रही कुछ बोलती ना ;
सुन फ़साना बहते आँसू नम हैं पत्थर !!... ''तनु''