आँखों मे जोगी सी बन्दगी ना रही !
चढती साँसों में तिशनगी ना रही !!
ना दरियादिल है ना दरिया ही रहा !
रहे ना एकटक वो निहारने वाले !
कुर्वत वो मरासिम, आमादगी ना रही !!
कौन आया है संजीदगी ले कर !
आ गयी मौत लो ज़िन्दगी ना रही !!
तीरगी कितनी राहों में देख ले !
खो गया नूर की वो ताज़गी ना रही !!
यूँ खिला जिस्म, निखरा, हो गया बूढ़ा !
इश्क़ की रूहानी पाक़ीज़गी ना रही !!
एक ही शहर के बाशिंदे ये सौदाई !
अब तो ''तनु'' किसी से नाराज़गी ना रही !!... ''तनु''
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