Labels

Monday, November 4, 2019

लहू के शोर की सुनाई नहीं है



लहू के शोर की सुनाई नहीं है !
तुझे  इंसानियत आई नहीं है !!

अक़्ल तेरी  हुई पत्थर, सही है !
यहाँ तूने ही फतह पाई नहीं है !!

हँसे वो तो, हँसे तू भी, ख़ूब है !
सुन उसकी बात में सच्चाई नहीं है !!

हवा का शोर तेरी उलझने है !
अभी तूफ़ान है, अँगड़ाई नहीं है !!

गिराये आशियाने बंदगी के !
नहीं ऐसी नीयत कमाई नहीं है !!

है तेरे पास ही सारी ख़ुदाई !
क्या आवाज तुझ तक आई नहीं है !!

करूँ क्या समझ कर नासमझ तू है !
सभी इंसा आपस में भाई नहीं है !!

ना आये साँस शमशीरों के साये में !
हैं रावण कोई भी साँई नहीं है !!

कभी तो तजुरबों से काम ले ले ! 
हटा लेना नज़र भलाई नहीं है !!... ''तनु''

No comments:

Post a Comment