लहू के शोर की सुनाई नहीं है !
तुझे इंसानियत आई नहीं है !!
अक़्ल तेरी हुई पत्थर, सही है !
यहाँ तूने ही फतह पाई नहीं है !!
हँसे वो तो, हँसे तू भी, ख़ूब है !
सुन उसकी बात में सच्चाई नहीं है !!
हवा का शोर तेरी उलझने है !
अभी तूफ़ान है, अँगड़ाई नहीं है !!
गिराये आशियाने बंदगी के !
नहीं ऐसी नीयत कमाई नहीं है !!
है तेरे पास ही सारी ख़ुदाई !
क्या आवाज तुझ तक आई नहीं है !!
करूँ क्या समझ कर नासमझ तू है !
सभी इंसा आपस में भाई नहीं है !!
ना आये साँस शमशीरों के साये में !
हैं रावण कोई भी साँई नहीं है !!
कभी तो तजुरबों से काम ले ले !
हटा लेना नज़र भलाई नहीं है !!... ''तनु''
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