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Tuesday, November 19, 2019

आकर कान में मेरे चुपके से कोई कहता है !


आकर कान में मेरे चुपके से कोई कहता है !
धीरे - धीरे लहरों पर जैसे दीप कोई बहता है !!

मन की बातें लब पे मेरे कैसे आ जातीं हैं !
दर्द जमाने का दिल में शायद कोई सहता है !!

कैसी - कैसी रीत चली और कैसे कैसे मेल मिले !
आँसू जमीन पर गिरा नहीं ये दर्द कोई सहता है !!

देखो तिनका - तिनका होकर ज्यों नीड़ बिखरता जाता !
तेज़ बली आँधियों में जब भी दरख़्त कोई ढहता है !!

कभी - कभी इतनी मुहब्बत के आँखें भर - भर आएँ !
मानों चंदा के नयनो में रात को कोई दहता है !!

कभी मिले प्रिय जो कोई तो कह दूँ जी की बात !
ज्यों दुख - सुख की कड़वी - मीठी पीड़ा कोई लहता है !! ... ''तनु''


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