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Thursday, November 21, 2019

आँख्यां मे थारे जोगी, बन्दगी भी नई !

आँख्यां मे थारे जोगी, बन्दगी भी नई !
चढती घटती साँसां में, तिशनगी भी नई !!

नई दरियादिली,  नई दरिया रे बहे   !
आई गी  मौत तो,  ज़िन्दगी भी नई !!

वाट जोवे टकटकी, रया नि वी लोग !
वा कुर्वत वो मरासिम, आमादगी भी नई  !!

आयो कुण यो संजीदगी साथे लायो !
शोख़ ग़ज़लां रोवे दिल्लगी भी नई !!

मारग अंधारो घणो सूझे नइ सूझ !
खोई गयो नूर, की वा ताज़गी भी नई !!

खिल्यो रूप,  निखर्यो, चालवा री बेला !
इश्क़ की रूहानी, पाक़ीज़गी भी नई !!

गाम एक देश एक सौदाई ई सारा !
चाल ''तनु'' अब कणि से नाराज़गी भी नई !!... ''तनु''

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