मन की पीर छुपा ना पाऊँ !
मन भाते सुर गा ना पाऊँ !!
उखड़ी उखड़ी सी साँसें हैं ,
उजड़ी उजड़ी सी रातें हैं !
जो चाँद अकेला रूठ गया , ..
लगी सितारों की घाते हैं !!
किससे आशा मन समझाऊँ !!.... मन भाते सुर गा ना पाऊँ
धूप गुनगुनी गुनगुनी खिले,
यूँ हवा चले फिर कली खिले !
फिर गीत भ्रमर जो गायेगा, ..
जन्मों के बिछड़े मीत मिले !!
कब कैसे दिल को समझाऊँ !!.... मन भाते सुर गा ना पाऊँ
सावन की बदली चोर बनी,
भादों की बदली घोर बनी !
सूरज के पाखी हार गये , ..
सोती सोती सी भोर पली !!
सजना सपन साजन बुलाऊँ !!.... मन भाते सुर गा ना पाऊँ
इक दुपहर की धूप अकेली ,
जाने कहाँ कहाँ थी डोली !
जिद्दी आँगन और छज्जे ने, ..
दरवाज़े की चीर न खोली !!
खिड़की कहती झुलसी जाऊँ !!.... मन भाते सुर गा ना पाऊँ
जो खिल जाये मुस्कानो में ,
इन रातों में इन साँसों में !
एक मुट्ठी किरणें भोर की, ,,
चमकती ओस सी फूलों में !!
कुछ ऐसे सपने पा जाऊँ !! .... मन भाते सुर गा ना पाऊँ। ... ''तनु''
मन भाते सुर गा ना पाऊँ !!
उखड़ी उखड़ी सी साँसें हैं ,
उजड़ी उजड़ी सी रातें हैं !
जो चाँद अकेला रूठ गया , ..
लगी सितारों की घाते हैं !!
किससे आशा मन समझाऊँ !!.... मन भाते सुर गा ना पाऊँ
धूप गुनगुनी गुनगुनी खिले,
यूँ हवा चले फिर कली खिले !
फिर गीत भ्रमर जो गायेगा, ..
जन्मों के बिछड़े मीत मिले !!
कब कैसे दिल को समझाऊँ !!.... मन भाते सुर गा ना पाऊँ
सावन की बदली चोर बनी,
भादों की बदली घोर बनी !
सूरज के पाखी हार गये , ..
सोती सोती सी भोर पली !!
सजना सपन साजन बुलाऊँ !!.... मन भाते सुर गा ना पाऊँ
इक दुपहर की धूप अकेली ,
जाने कहाँ कहाँ थी डोली !
जिद्दी आँगन और छज्जे ने, ..
दरवाज़े की चीर न खोली !!
खिड़की कहती झुलसी जाऊँ !!.... मन भाते सुर गा ना पाऊँ
जो खिल जाये मुस्कानो में ,
इन रातों में इन साँसों में !
एक मुट्ठी किरणें भोर की, ,,
चमकती ओस सी फूलों में !!
कुछ ऐसे सपने पा जाऊँ !! .... मन भाते सुर गा ना पाऊँ। ... ''तनु''
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