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Friday, November 1, 2019

बुतक़दे में क्यों सजाते हम हैं पत्थर ;
फिर दिलों को क्यों बनाते हम हैं पत्थर !

हादसों ने जब बिगाड़ा जिंदगी को ;
चोट अपने ही लगाते कम हैं पत्थर !

बोलना सच इमान हर इंसान का ;
राह इंसानियत की हर दम हैं पत्थर !

खून कितने ही बहा कर चुप रहेगा ;
जाबजा पत्थर दिल ओ हमदम है पत्थर !

इक अनोखा रंग था इकरार का भी ;
मोम खुद को ही बनाता सनम है पत्थर !

एक रेले संग बह गयी है जिंदगी ;
रोक लेगा राह में ही वहम है पत्थर !

एक गुड़िया चुप रही कुछ बोलती ना ;
सुन फ़साना बहते आँसू नम हैं पत्थर !!... ''तनु''

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