रात की गाँठ मत खोलो,
अधूरा चाँद टूटेगा !
सजे दिन के घरौंदे में, सलोना ख़्वाब रूठेगा !!
ये भावों की कहानियाँ,
नदी की धार सी बहती !
कह न पाये सुन न पाये, निरुत्तरित प्रश्न उठेगा !!
अमराई के आमों को,
भ्रमर की गुणी तानों को
हृदय मकरंद गुनता है, कभी तो शब्द फूटेगा !!
अँधेरे को समेटोगे,
अँधेरा भी नहीं रुकता !
फ़लक को भेद कर के फिर, नया सा सूरज उगेगा !!
भरी झुर्री सफेदी सर,
आँतों का ना दाँतों का !
छुपे क़दमों तले चुपके, वक़्त हर वकत लूटेगा !!
एक दरपन जैसा उफ़क़ ,
देखता साँझ और सुबह !
किरणों से दिन लिखकर के. चाँदनी रात ढूँढेगा !!... ''तनु''
अधूरा चाँद टूटेगा !
सजे दिन के घरौंदे में, सलोना ख़्वाब रूठेगा !!
ये भावों की कहानियाँ,
नदी की धार सी बहती !
कह न पाये सुन न पाये, निरुत्तरित प्रश्न उठेगा !!
अमराई के आमों को,
भ्रमर की गुणी तानों को
हृदय मकरंद गुनता है, कभी तो शब्द फूटेगा !!
अँधेरे को समेटोगे,
अँधेरा भी नहीं रुकता !
फ़लक को भेद कर के फिर, नया सा सूरज उगेगा !!
भरी झुर्री सफेदी सर,
आँतों का ना दाँतों का !
छुपे क़दमों तले चुपके, वक़्त हर वकत लूटेगा !!
एक दरपन जैसा उफ़क़ ,
देखता साँझ और सुबह !
किरणों से दिन लिखकर के. चाँदनी रात ढूँढेगा !!... ''तनु''
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