माता पिता को समर्पित
दिन बचपन के जो सँवारे न होते ;
मिले संस्कारो के' सहारे न होते !
बिखर ही गए थे बिगड़ भी हम'जाते ;
समय पर जो नैना तरारे न होते !
बचाया उमस बारिश ठंढी गर्मी से ;
हुलसकर ख़ुशी के झलारे न होते !
तमस को हटाया जलाकर के' दीया;
जो दिन रैन हमारे उजारे न होते !
जो दिन रैन हमारे उजारे न होते !
उसूल निभ जाये वही जिंदगी' है ;
वरना हम सबके दुलारे न होते !
सरल सी डगर की नहीं चाह कोई ;
पथ वह नहीं जहाँ अंगारे' न होते !
कर रही ''तनु''नमन झुक चरणों को छू ;
गुलाब तो गुलाब हैं हजारे न होते !.... तनुजा ''तनु ''