Labels

Friday, September 4, 2015

प्रार्थना का एक छंद 

भवसागर में कान्हा,   डोल रही है नाव ;

पथ ना सूझे तुम बिना, काँप रहे हैं पाँव !

काँप रहे हैं पाँव,   कैसी प्रीत तुम्हारी ?

ढूँढू कदम्ब छाँव , हर शाम हो बनवारी !! 

आओ बरसें  नैन , खाली प्रीत की गागर , ,,

चलो लगाओ पार,    कान्हा मैं भवसागर ……तनुजा ''तनु ''… 

No comments:

Post a Comment