प्रार्थना का एक छंद
भवसागर में कान्हा, डोल रही है नाव ;
भवसागर में कान्हा, डोल रही है नाव ;
पथ ना सूझे तुम बिना, काँप रहे हैं पाँव !
काँप रहे हैं पाँव, कैसी प्रीत तुम्हारी ?
काँप रहे हैं पाँव, कैसी प्रीत तुम्हारी ?
ढूँढू कदम्ब छाँव , हर शाम हो बनवारी !!
आओ बरसें नैन , खाली प्रीत की गागर , ,,
चलो लगाओ पार, कान्हा मैं भवसागर ……तनुजा ''तनु ''…
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