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Saturday, September 12, 2015

फजीयत

रात भर की है नसीहत दोस्तों ;
हो गई है फिर फजीयत दोस्तों !

कब तलक दिल की मनायें खैर हम ;
ठीक उसकी नही' नीयत दोस्तों !

ठहर जा ए दर्द होगी कब सहर ?            
जिंदगी ही है अजीयत दोस्तों ??

दीद की उम्मीद अब कम ही रही ;
क्या कर्ज़ में है वसीयत दोस्तों ?

कौन रस्म निबाह दरम्यां अपने !
हर असूल पर' है शरीयत दोस्तों !!

दो हर्फ़ से ज्यादा  न कह पाऊँगी !
छुपकर कुशादा हैं हकीकत दोस्तों !!.... तनुजा ''तनु ''

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