दर्द
चश्म-ए -पुरनम बेकाबू दर्द है ;
नाकामयाब जिंदगी यूँ चर्ख है !!
हाथ क्या उसके सीने पे रखना ?
असर-ए-गम देखिये आहें सर्द है !!
कौन ये छुप गया अभी दिल में ?
आफत-ए-जां रहा इश्क बे पर्द है !!
बेजर नहीं फलक कभी खुदा' का ;
दिख रही तुम्हे उड़ती जो गर्द है !!
राज़ गैरों पर न खुले दिल के ;
कीमत जज़्बात की हो अर्ज है !!
थूकना चाँद पर रही लानत ;
हो रही बे आब असर चर्द है !!
बेजर = निर्धन
चर्द = निम्न कोटि के मंद बुद्धि लोग
चश्म-ए -पुरनम बेकाबू दर्द है ;
नाकामयाब जिंदगी यूँ चर्ख है !!
हाथ क्या उसके सीने पे रखना ?
असर-ए-गम देखिये आहें सर्द है !!
कौन ये छुप गया अभी दिल में ?
आफत-ए-जां रहा इश्क बे पर्द है !!
बेजर नहीं फलक कभी खुदा' का ;
दिख रही तुम्हे उड़ती जो गर्द है !!
राज़ गैरों पर न खुले दिल के ;
कीमत जज़्बात की हो अर्ज है !!
थूकना चाँद पर रही लानत ;
हो रही बे आब असर चर्द है !!
बेजर = निर्धन
चर्द = निम्न कोटि के मंद बुद्धि लोग
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