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Sunday, September 20, 2015

दर्द 

चश्म-ए -पुरनम   बेकाबू दर्द है ;
नाकामयाब जिंदगी यूँ  चर्ख है !!    

हाथ क्या उसके सीने पे रखना ?
असर-ए-गम देखिये आहें सर्द है !!

कौन ये छुप गया अभी दिल में ?
आफत-ए-जां रहा इश्क बे पर्द है !!

बेजर नहीं फलक कभी  खुदा' का ;  
दिख रही तुम्हे उड़ती जो गर्द है !! 

राज़ गैरों पर न खुले दिल के ;
कीमत जज़्बात की हो अर्ज है !!

थूकना चाँद पर रही लानत ;
हो रही बे आब असर चर्द है !!

 बेजर = निर्धन 
 चर्द = निम्न कोटि के मंद बुद्धि लोग  

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