''मेरी दादी''
एक बहुत बहुत पुरानी रचना
खाने के ना दिख रहे, दादीजी के दाँत ,
भोजन कब पचाएगी, अब दादी की आँत ?
अब दादी की आँत, मुँह बउ - बऊ है करता !
शब्दों की है पोल , नेह है फिर भी झरता !!
दादी भर कर अंक , गले से हमें लगा लो !
आशा को दो पंख, उड़ना हमें सिखला दो !!… तनुजा ''तनु ''
No comments:
Post a Comment