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Friday, September 11, 2015
मेरी हिन्दी
चंद्र लेकर भाल को हम लेते सँवार ;
व्यंजन की कश्ती मात्रा खेते पतवार !
हिन्दी गुनगुनाती है, तुम
सुनो तो सही , ,,
स्वरों
की हैं लहरें और मन के उदगार !!!…तनुजा ''तनु ''
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