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Tuesday, September 1, 2015


कहाँ नहीं तू 

केशव कहाँ नहीं है विश्वास देखिये !
माधव जहाँ नहीं है निष्कास देखिये !!

टूटे हुए पतवार हैं माझी भी नहीं ;
कैसे ही होगी पूरी ये आस देखिये !

ढूँढा कहाँ कहाँ न नज़र तू आ रहा ;
कण कण रचा बसा तेरा वास देखिये !

माया रची सजा जहां तेरा उजास ले ;
इक पल उदास इक पल उल्लास देखिये ! 

रास !!! रास आये ऐसी रसमय रात दे ;
सबके साथ ही है वो आभास देखिये !

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