शिष्य ति !!!
मूर्ति मन माहि रखजो, लक्ष्य रखजो सुभाय !
छोड़ जगत रा चोंचला, करजो करम निभाय !!
करजो करम निभाय, फोड़ लालच रो गागर !
मीठो राख सुभाव, भर जो नेह रो सागर !!
रहे गरु समुझाय, मिटा कपट तुरत फुरती !
चल एकलव्य राह, मन माहि रखजो मूर्ति !!…तनुजा ''तनु ''
मूर्ति मन माहि रखजो, लक्ष्य रखजो सुभाय !
छोड़ जगत रा चोंचला, करजो करम निभाय !!
करजो करम निभाय, फोड़ लालच रो गागर !
मीठो राख सुभाव, भर जो नेह रो सागर !!
रहे गरु समुझाय, मिटा कपट तुरत फुरती !
चल एकलव्य राह, मन माहि रखजो मूर्ति !!…तनुजा ''तनु ''
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