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Tuesday, September 8, 2015

शिष्य ति !!!

मूर्ति मन माहि रखजो, लक्ष्य रखजो सुभाय !
छोड़ जगत रा चोंचला, करजो करम निभाय !!
करजो करम निभाय,  फोड़ लालच रो गागर !
मीठो राख सुभाव,    भर जो नेह रो सागर !!
रहे गरु समुझाय,  मिटा कपट तुरत फुरती  ! 
चल एकलव्य राह,   मन माहि रखजो मूर्ति !!…तनुजा ''तनु ''

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